बेटे की शादी २ मई को होनी थी और २ अप्रैल को मेरी मम्मी अचानक बीमार पद गई उन्हें अधरंग का अटैक आया जिसके बाद वे ठीक नहीं हो पाई लिहाजा मैं शादी बेटे की शादी में इतना कुछ नहीं कर पाई जितना करना चाहती थी। अब मैं चाहती हूँ कि कुछ फोटो रस्में इत्यादि के साथ पोस्ट करूँ
आज मैं गृह प्रवेश की रस्म फोटो सहित दे रही हूँ
गृह प्रवेश -
गाडी से उतरते वक्त बहु कुक सिलावा के डिब्बे को सासुजी को देकर पैर छुती है। नाल लपेटा हुआ पांच या सात पत्तो
फिर बेटा कटार से उस थाली को सरकाता जाता है और बहु उठाकर इकट्ठा करती जाती है। इकट्ठी करते वक्त आवाज नहीं होनी चाहिये। इकट्ठा करके सासु को देकर पैर पड़ती है फिर बेटा-बहु को थापा के आगे ले जाकर धोक दिलाते हैं ।
शब्बा खैर!
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