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Wednesday, February 26, 2014

गृह प्रवेश की रस्म

 बेटे की शादी मई को होनी थी और अप्रैल को मेरी मम्मी अचानक बीमार पद गई उन्हें अधरंग का अटैक आया जिसके बाद वे ठीक नहीं हो पाई लिहाजा मैं शादी बेटे की शादी में इतना कुछ नहीं कर पाई जितना करना चाहती थी। अब मैं चाहती हूँ कि कुछ फोटो रस्में इत्यादि के साथ पोस्ट करूँ
आज मैं गृह प्रवेश की रस्म फोटो सहित दे रही हूँ
गृह प्रवेश -
गाडी से उतरते वक्त बहु कुक सिलावा के डिब्बे को सासुजी को देकर पैर छुती है। नाल लपेटा हुआ पांच या सात पत्तो
 
 की पीपल की डाली, गेहूं के आटे को भेजाकर उसमें खड़ी करके लोटे के ऊपर रखकर बहु के सिर पर रखते हैं, पहले से दरवाजे मे चैक पुरकर पाटा बिछाकर रखा  जाता  है , बेटा-बहू को उस पर खड़ा किया जाता है । बेटा की माँ बेटा-बहू को मिनती है। वार फेर करके पाटा से उतारकर अन्दर ले जाते हैं घर में बहू पहले दायां पांव अन्दर रखती है कोई भी सात थालियों को लाईन से रखते हैं थाली में कुछ मिठाई रखनी होती है।





फिर बेटा कटार से उस थाली को सरकाता जाता है और बहु उठाकर इकट्ठा करती जाती है। इकट्ठी करते वक्त आवाज नहीं होनी चाहिये। इकट्ठा करके सासु को देकर पैर पड़ती है फिर बेटा-बहु को थापा के आगे ले जाकर धोक दिलाते हैं
  शब्बा खैर!